मुजफ्फरपुर में मुहर्रम जुलूस के दौरान फिलीपींस का झंडा और हथियारों का डमी, कैमरे देख भागे युवक
दैनिक बिहार संपादक उत्कर्ष कुमार सिंह शिवहर
मीनापुर थाना क्षेत्र के तुर्की खरारु में अजीबो-गरीब नज़ारा, प्रशासन और खुफिया एजेंसियां सतर्कमुजफ्फरपुर: जिले के मीनापुर थाना अंतर्गत तुर्की खरारु गांव में मुहर्रम के अवसर पर आयोजित ताज़िया जुलूस के दौरान एक अजीबो-गरीब दृश्य देखने को मिला। जुलूस में शामिल कुछ नवयुवकों द्वारा फिलीपींस देश का राष्ट्रीय झंडा लहराते हुए डीजे की तेज धुनों पर हथियारों का डेमो (प्रदर्शन) किया गया। यह दृश्य देखकर स्थानीय लोग हैरत में पड़ गए, वहीं जब मीडिया कर्मियों द्वारा इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो रिकॉर्ड किया जाने लगा, तो संदिग्ध युवक मौके से जुलूस छोड़कर भाग खड़े हुए।घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि मुहर्रम जैसे धार्मिक अवसर पर विदेशी झंडा क्यों लहराया गया और हथियारों का प्रदर्शन किस उद्देश्य से किया गया? स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा से हटकर है और धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य माना जा रहा है।घटना के संबंध में अब तक पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियों ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह महज युवाओं की नासमझी थी या इसके पीछे कोई संगठित विचारधारा काम कर रही है।फिलीपींस का झंडा आमतौर पर दक्षिण एशिया के जुलूसों में नहीं देखा जाता है। ऐसे में इस झंडे का लहराया जाना एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। धार्मिक आयोजनों में विदेशी प्रतीकों का प्रयोग सुरक्षा और सामाजिक समरसता के लिहाज से चिंता का विषय है।घटना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि धार्मिक अवसरों को हथियार प्रदर्शन या अनावश्यक प्रतीक दिखाने का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे माहौल बिगड़ सकता है और सौहार्द्र में खलल पड़ सकता है।स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने प्रशासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त गाइडलाइन जारी करने की आवश्यकता बताई है।यह घटना न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि सुरक्षा और सामाजिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी अहम है। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर ऐसे असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है, ताकि पर्व-त्योहार अपने मूल स्वरूप में शांतिपूर्वक संपन्न हो सकें।