बलिदान, साहस और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है मोहर्रम पर्व
दैनिक बिहार संपादक उत्कर्ष कुमार सिंह शिवहर
शिवहर जिलेभर में मुहर्रम पर्व मनाया जा रहा विधि व्यवस्था को लेकर जिला पुलिस प्रशासन एवं दंडाधिकारी मौजूद
शिवहर जिले में सभी जगह पर शिया मुसलमान भाई सत्य न्याय और अन्याय के खिलाफ लड़ने के महत्व को दर्शाता मुहर्रम पर्व। मुहर्रम पर्व हमे सच्चाई की राह पर चलते हुए हर तरह की कुर्बानी देने की भी प्रेरणा देता है। शिवहर जिले में मुहर्रम पर्व मनाया जा रहा है। ताजिया के साथ जुलूस भी निकला गया है। शाम को अपने नजदीकी रैन पर ताजिया की जुलूस निकाली जाएगी।
मोहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो शिया मुसलमानों के लिए शोक का समय होता है। यह इमाम हुसैन, पैगंबर मुहम्मद के पोते, और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है, जो कर्बला की लड़ाई में शहीद हो गए थे। इस दिन, शिया मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मातम मनाते हैं।
मोहर्रम का महीना शिया मुसलमानों के लिए शोक और बलिदान का समय होता है।
इस महीने में, इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया जाता है। मोहर्रम का पर्व सत्य, न्याय और अन्याय के खिलाफ लड़ने के महत्व को दर्शाता है।
मोहर्रम का पर्व कर्बला की लड़ाई की याद दिलाता है, जो 680 ईस्वी में इराक के कर्बला में हुई थी। शिया मुसलमान मोहर्रम के महीने में मातम मनाते हैं, ताजिया निकालते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।
सुन्नी मुसलमान भी मोहर्रम का सम्मान करते हैं, लेकिन वे शिया समुदाय की तरह मातम नहीं मनाते हैं।
मोहर्रम के दौरान, जुलूस निकाले जा रहे हैं, जिनमें लोग इमाम हुसैन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
ताजिया, इमाम हुसैन के मकबरे का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है, जिसे शिया मुसलमान बनाते हैं और जुलूस में ले जाते हैं।
कुछ सुन्नी मुसलमान मोहर्रम के 9वें और 10वें दिन रोजा रखते हैं। मोहर्रम का त्योहार इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने सत्य और न्याय के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। यह त्योहार हमें बलिदान, साहस और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।