प्रशांत किशोर पर आशुतोष शंकर सिंह का हमला: बिहारवासियों को दिवास्वप्न दिखा रहे हैं

संपादक उत्कर्ष कुमार (दैनिक बिहार) सीतामढ़ी: बिहार की सियासत में चुनावी सरगर्मी जैसे-जैसे तेज़ हो रही है, नेताओं के बयान भी तीखे होते जा रहे हैं। इसी कड़ी में एनडीए के कट्टर समर्थक और बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के सह कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता आशुतोष शंकर सिंह ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि " प्रशांत किशोर बिहारवासियों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर, झूठ-फरेब और खोखले वादों से बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता अब समझदार हो चुकी है। वह अब इनकी चाल में आने वाली नहीं। " उन्होंने प्रशान्त किशोर को चेताया कि जनता के सब्र का इम्तिहान मत लीजिए। आशुतोष शंकर सिंह ने कहा कि बिहार की जनता ने पिछले वर्षों में विकास, कानून-व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं में हुए सुधार को देखा है। “ प्रशांत किशोर जैसे लोग बिना ज़मीनी सच्चाई को समझे, हवा में सपने बेचते हैं। लेकिन बिहार की जनता अब हवा-हवाई बातों में नहीं आती। उसे अब जमीनी विकास चाहिए, न कि भाषणबाज़ी। ” मिडिया के सवालों पर उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलने का हमारा दावा पक्का है। उन्होंने आगे कहा कि इस बार बिहार की जनता ठान चुकी है कि वह एक बार फिर एनडीए को पूर्ण बहुमत से जिताकर राज्य में मजबूत, स्थिर और विकासशील सरकार बनाएगी। उनका कहना था कि पिछले कार्यकालों में एनडीए सरकार ने सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में ठोस काम किए हैं और यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। “ एनडीए की सरकार ने जो किया है, वह दिखता है। प्रशांत किशोर जैसे लोग केवल वादे करते हैं, हमारे नेता और हमारी सरकार ज़मीन पर काम करते हैं। ” — उन्होंने कहा। जन सुराज की रणनीति पर भी जमकर सवाल खड़ा किया। आशुतोष शंकर सिंह ने जन सुराज की राजनीतिक रणनीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि “ बिना जनाधार और बिना अनुभव के, केवल सोशल मीडिया की रणनीति से बिहार की राजनीति को प्रभावित नहीं किया जा सकता। बिहार को सपने नहीं, समाधान चाहिए। ” बिहार में आगामी चुनावों से पहले इस तरह की बयानबाज़ी से यह साफ हो गया है कि राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच मुकाबला बेहद कड़ा होने वाला है। जहां एक ओर एनडीए अपने विकास कार्यों और स्थायित्व का हवाला दे रही है, वहीं दूसरी ओर जन सुराज जैसी नवोदित पार्टियां जनता को नए विकल्प देने का दावा कर रही हैं। बहरहाल, फैसला तो बिहार की जनता को ही करना है कि वह वादों के पीछे जाएगी या फिर काम की बुनियाद पर सरकार चुनेगी।

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